क्रिसमस: प्रेम, शांति और एकता का पर्व

क्रिसमस: प्रेम, शांति और एकता का पर्व

क्रिसमस, जो हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है, ईसा मसीह के जन्म का पावन पर्व है। यह त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानवता, प्रेम और शांति का संदेश भी देता है। क्रिसमस का मूल उद्देश्य है ईसा मसीह की शिक्षाओं को याद करना और उनके जीवन से प्रेरणा लेना।

यह पर्व हमें ईसा मसीह की करुणा, क्षमा और सेवा के संदेश को जीवन में अपनाने की प्रेरणा देता है। उनके द्वारा सिखाई गई बातें जैसे दूसरों की मदद करना, प्रेम बांटना और सत्य के मार्ग पर चलना, आज भी प्रासंगिक हैं। क्रिसमस के अवसर पर लोग चर्च में प्रार्थना करते हैं, मसीह के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और अपने जीवन को उनके मार्गदर्शन में चलाने का संकल्प लेते हैं।

क्रिसमस परंपराओं और उत्सवों का पर्व भी है। घरों में सजे हुए क्रिसमस ट्री, रंग-बिरंगी लाइट्स, और उपहारों का आदान-प्रदान इस त्योहार को खास बनाते हैं। यह दिन परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने, साथ में भोजन करने और जीवन के खूबसूरत पलों को संजोने का अवसर देता है।

क्रिसमस का यह पर्व सांस्कृतिक विविधता का सम्मान भी करता है। पूरी दुनिया में इसे अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। चाहे वह यूरोप के पारंपरिक गीत हों, भारत के चर्चों में होने वाले विशेष आयोजन, या अमेरिका की सजीव झांकियां – हर स्थान पर इसकी अपनी अलग छवि और परंपरा है।

शांति और एकता का संदेश क्रिसमस का मुख्य पहलू है। यह पर्व हमें सिखाता है कि हर इंसान समान है, और प्रेम तथा दया से हम एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं। यह समय है बीते हुए साल पर चिंतन करने का, उन पलों के लिए आभार व्यक्त करने का, जिन्होंने हमें मजबूत बनाया और नई शुरुआत करने का।

क्रिसमस केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि यह हमारे जीवन को सकारात्मकता, उत्साह और नई ऊर्जा से भरने का माध्यम है। आइए, इस क्रिसमस हम सभी एक-दूसरे के साथ प्रेम और खुशी बांटें और अपने आसपास की दुनिया को एक बेहतर स्थान बनाएं। सभों को क्रिसमस की शुभकामनयें I

डॉ फादर तेलेसफोर लकड़ा, प्राचार्य, लोयोला कॉलेज

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