कुनकुरी / विश्व कम्प्युटर साक्षरता दिवस पर लोयोला महाविद्यालय कुनकुरी के सभागार में कम्प्युटर की महत्ता और आज के जीवन में उसकी उपादेयता पर विस्तृत चर्चा की गयी। महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को अनिवार्य रूप से कम्प्युटर की शिक्षा ग्रहण करके प्रतियोगिता के दौड़ में आगे रहने की बात कही गयी। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉं. व्ही. के. रक्षित (पूर्व प्राचार्य, आर.बी.आर. शासकीय एन.ई.एस. स्नातकोत्तर महाविद्यालय जशपुर) द्वारा विद्यार्थियों हेतु कम्प्युटर की शिक्षा अनिवार्य कहा गया।
उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘‘ समय के साथ कम्प्युटर ने अध्ययन और अध्यापन के क्षेत्र में आने वाली समस्याओं का उन्मुलन कर दिया है आज हम कम्प्युटर के माध्यम से अपनी जानकारी के दायरे को बहुत विस्तृत कर सकते है। अनुसंधान और लेखन के कार्यों को विभिन्न आयामों में सरलता पूर्वक बहुत उंचाई तक ले जा सकते हैं।‘‘ उन्होंने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए एक शायरी की ‘‘अंधकार को क्यों दुत्कारें, अच्छा हो एक दीप जलायें।‘‘ हमें सीखने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। सीखने और पढ़ने की सच्ची चाह रखने वाले व्यक्ति के लिए गरीबी, बिमारी, उम्र और अन्य आपदाएं मायने नहीं रखती।
पूर्व प्राचार्य ने इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना के योग्य एवं सराहनीय कार्य करने वाले स्वयं सेवको को स्मृति चिन्ह देकर एवं कम्प्युटर विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापकों डॉ. नंद कुमार सिंह, श्रीमती जयश्री बजाज एवं श्री दीपक खेस्स को बेश कीमती किताबें देकर अध्यापन के क्षेत्र में उनकी भूमिका का सम्मान किया।
इस कार्यक्रम के सहायक वक्ता डॉं. रामानुजप्रताप सिंह धुर्वे (सहा. प्रा. शास. बाला साहेब देश पाण्डेय महाविद्यालय कुनकुरी) ने भी कम्प्युटर साक्षरता दिवस की सार्थकता पर अपना वक्तव्य पेश किया और कम्प्युटर की शिक्षा के औचित्य पर प्रकाश डाला। ज्ञातव्य है कि लोयोला महाविद्यालय कुनकुरी के कम्प्युटर विज्ञान विभाग द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें श्रीमती जयश्री बजाज (सहा. प्रा.), डॉ. नंद कुमार सिंह, ब्रज किशोर पाठक, दीपक खेस्स, सुश्री स्वाति बरेठ एवं पंकज तिग्गा की उल्लेखनीय भूमिका रही। इस कार्यक्रम के अंत में संस्था प्रमुख डॉं. फा. तेलेस्फोर लकड़ा (प्राचार्य) ने मुख्य वक्ता का शॉल भेंट कर सादर सम्मान किया। कार्यक्रम का संचालन डी. आर. विश्वकर्मा (सहा. प्रा.) ने किया।