भगवान बदरीविशाल के दरबार में आध्यात्मिक दिव्यता का संगम : शंकराचार्य जी महाराज की उपस्थिति में खुले कपाट, गूंजे भगवन्नाम संकीर्तन, ज्योतिष्पीठाधीश्वर ने दिए सनातन धर्म के अनुपम संदेश.

भगवान बदरीविशाल के दरबार में आध्यात्मिक दिव्यता का संगम : शंकराचार्य जी महाराज की उपस्थिति में खुले कपाट, गूंजे भगवन्नाम संकीर्तन, ज्योतिष्पीठाधीश्वर ने दिए सनातन धर्म के अनुपम संदेश.

बदरीनाथ धाम, चमोली, उत्तराखंड/रायपुर 05 मई 2025 : वैशाख शुक्ल सप्तमी, दिनांक 4 मई 2025 को प्रातः 6:00  बजे भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट विधिवत रूप से खोल दिए गए। इस शुभ अवसर पर उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज की गरिमामयी उपस्थिति में भक्तों ने आध्यात्मिक चेतना का दिव्य अनुभव किया। शंकराचार्य जी ने तीर्थयात्रा के महत्व, पर्यावरण संरक्षण और भगवन्नाम की महिमा पर प्रकाश डालते हुए सनातन धर्मियों को भक्ति मार्ग में अग्रसर होने का संदेश दिया।

वैशाख शुक्ल सप्तमी, दिनांक 4 मई 2025 को प्रातः 6:00  बजे भूवैकुण्ठ के सर्वस्व भगवान बदरीनाथ जी के कपाट का उद्घाटन हो गया। कपाट खुलने के पूर्व धर्माधिकारी श्री राधाकृष्ण थपलियाल जी द्वारा पंचांग पूजन सम्पन्न किया गया, फिर निर्धारित समय पर मन्दिर द्वार खोल दिए गए। ज्योतिर्मठ के 55वें शंकराचार्य ‘परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज इस अवसर पर उपस्थित रहे।

इस अवसर पर पूज्यपाद शंकराचार्य महाराज जी ने सनातन धर्मियों को सन्देश देते हुए कहा कि अधिक से अधिक संख्या में यहां आकर लोग भगवान बदरीनाथ का दर्शन करें, तीर्थाटन की दृष्टिकोण से आएं, कष्ट सहने की भावना रखें, यात्रा के समय खान-पान पर विशेष ध्यान रखें, मौन रहें और निरन्तर भगवन्नाम संकीर्तन करते हुए भगवान के दर्शन करें। साथ ही पर्यावरण को कोई नुकसान ना हो इस बात का विशेष ध्यान रखें। पूज्य शंकराचार्य जी महाराज ने आगे कहा कि यहां आकर हम सबको आध्यात्मिक आनन्द प्राप्त करना चाहिए, आध्यात्मिक आनन्द और लौकिक में केवल इतना अन्तर है कि लौकिक आनन्द क्षणिक है और आध्यात्मिक आनन्द पूरे जीवन भर हमें शान्ति प्रदान करता है, उस अनुभूति को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता, इसलिए यहां आकर इस को अनुभूत करना चाहिए।

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