कुनकुरी, 22 अप्रैल 2025 | ✍ सागर जोशी – संपादक
एक तरफ जहाँ परिवार को प्रेम, सुरक्षा और विश्वास का आधार माना जाता है, वहीं कुनकुरी के तुमला गांव में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने इन मूल्यों को तार-तार कर दिया। 3 अप्रैल 2023 को मामूली पारिवारिक विवाद ने ऐसा रौद्र रूप धारण किया कि पूरन मुण्डा ने अपनी पत्नी अनिता मुण्डा की टांगी से बेरहमी से हत्या कर दी—और वो भी अपने ही मासूम बच्चों के सामने। अब, दो साल बाद न्यायालय ने इस गंभीर पारिवारिक अपराध पर निर्णायक और ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आरोपी को आजीवन सश्रम कारावास की सजा दी है।
बलराम कुमार देवांगन द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश कुनकुरी के न्यायालय ने सोमवार को इस बहुचर्चित हत्या के मामले में ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए आरोपी पूरन मुण्डा (40 वर्ष) को अपनी पत्नी अनिता मुण्डा की नृशंस हत्या के लिए भारतीय दण्ड संहिता की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास और ₹1000 अर्थदण्ड की सजा सुनाई है। अर्थदण्ड अदा न करने की स्थिति में अतिरिक्त छः माह का सश्रम कारावास भुगतना होगा।
मामूली विवाद ने ले ली जान
मामला 3 अप्रैल 2023 का है जब जशपुर जिले के तुमला फोकटपारा निवासी पूरन मुण्डा ने शाम करीब 5:30 बजे रुपयों के विवाद को लेकर अपनी पत्नी पर घर में रखी लोहे की टांगी से वार कर उसकी निर्मम हत्या कर दी थी। हत्या की इस वीभत्स वारदात के प्रत्यक्षदर्शी उनके बच्चे सलीमा मुण्डा और समीर मुण्डा रहे, जिन्होंने बीच-बचाव की कोशिश भी की।
घटनास्थल से मिले पुख्ता सबूत
थाना तुमला में मृतका के बहनोई सुशील मुण्डा की रिपोर्ट पर अपराध क्रमांक 17/2023 दर्ज कर जांच प्रारंभ की गई। विवेचना के दौरान घटनास्थल से खून से सनी मिट्टी, लोहे की टांगी, आरोपी का खून लगे कपड़े जब्त किए गए। आरोपी का मेमोरेण्डम बयान भी गवाहों के समक्ष दर्ज किया गया। फारेंसिक जांच और मेडिकल रिपोर्ट से हत्या की पुष्टि हुई।
अदालत ने कहा – “अक्षम्य अपराध”
फैसले में माननीय न्यायालय ने कहा कि अभियुक्त द्वारा मामूली विवाद पर की गई यह हत्या गंभीर और सामाजिक व्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण अपराध है, जो क्षमा योग्य नहीं है। हालांकि, अभियुक्त का कोई आपराधिक इतिहास नहीं था, और यह मामला ‘विरलतम से विरल’ की श्रेणी में नहीं आता, इसलिए मृत्युदंड के स्थान पर आजीवन कारावास की सजा उपयुक्त पाई गई।
बच्चों की बहादुरी को मिला न्यायिक सम्मान
न्यायालय ने यह भी माना कि इस मामले में मृतका के अवयस्क बच्चों ने ही हत्या के गवाह बनकर अभियुक्त को दोषसिद्ध कराने में अहम भूमिका निभाई। इस कारण धारा 357 (ए) दण्ड प्रक्रिया संहिता के तहत पीड़ित प्रतिकर योजना के अंतर्गत बच्चों को मुआवजा दिलाने हेतु आदेश जारी किया गया है।