जशपुर (सत्यकाम न्यूज़) मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय की छवि धूमिल करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आधार व तथ्यहीन आरोप लगा रहे हैं। कैम्प कार्यालय राज्य सरकार के आदेश के तहत विधिपूर्वक संचालित किया जा रहा है ताकि लोगों की समस्याओं का त्वरित निराकरण हो सके और क्षेत्र के विकास को गति मिल सके। बीते 9 माह में बगिया स्थित कैम्प कार्यालय ने जशपुर सहित पूरे प्रदेश के जरूरतमंदों को सहायता उपलब्ध करा,एक नया इतिहास रचा है। आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की यह सफलता कांग्रेसियों को हजम नहीं हो रही है,इसलिए इस तरह के अर्नगल आरोप लगा रहें है।
भाजपा के पूर्व प्रदेश महामंत्री कृष्ण कुमार राय ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के उस पत्र पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा जिसमें उन्होनें कैम्प कार्यालय पर एक बेनामी पत्र के आधार पर आरोप लगाया है। तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कृष्ण कुमार राय ने कही जशपुर का भाजपा नेतृत्व हमेशा कॉंग्रेस के शीर्ष नेताओं के निशाने पर रहा है। 2003 में प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव के समय, कॉंग्रेसी पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कार्यकाल में जशपुर के माटीपुत्र, स्व. दिलीप सिंह जूदेव के विरुद्ध हुए षड्यंत्र, आज भी छत्तीगसढ़ के लोगों की स्मृतियों में है।
उन्होनें कहा कि जशपुर के एक आदिवासी परिवार में जन्मे विष्णु देव साय को भाजपा ने छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बनाया, अगर कॉंग्रेस आदिवासी समाज की सच्ची हितैषी होती, तो दो बार कॉंग्रेस को सरकार बनाने का अवसर जनता ने दिया था, कॉंग्रेस को एक बार भी तो किसी आदिवासी दम्पत्ति की संतान को मुख्यमंत्री बनने का अवसर देना चाहिए था। वास्तव में कॉंग्रेस ढकोसला करती है, जिसे एक आदिवासी का मुख्यमंत्री बनना पच ही नहीं रहा है।
राय ने कहा कि वो पूर्व मुख्यमंत्री भपेश बघेल को पत्र लिखने से पहले यह बात याद रखना चाहिए था कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय अत्यंत सरल स्वभाव के आदिवासी व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपना राजनैतिक जीवन, समाज के दुख-दर्द को दूर करने के लिए लगा दिया है। जब श्री साय सांसद थे, तब इनका नई दिल्ली का फ्लैट और जब केंद्रीय राज्यमंत्री थे तब इनका बंगला, क्षेत्र की आम जनता के लिए चौबीसों घण्टे खुला रहता था। क्षेत्र के बच्चे पढ़ाई के लिए जाते तो उन्हें हर सम्भव मदद करते थे। इनके कार्यकाल के समय बड़ी संख्या में जनता, ऐम्स दिल्ली में उपचार के लिए इस भरोसे के साथ जाती थी, कि वहां साय जी का घर है। मैं श्री बघेल जी को यह भी बताना चाहता हूं कि श्री साय जी के आवास में उपचार के लिए आने वाले लोगों के आवास और भोजन की व्यवस्था निःशुल्क रहती थी। यहां तक कि अस्पताल आने-जाने की भी सुविधा उपलब्ध करवाते थे। इनका आवास दिल्ली में मिनी एम्स के रूप में जाना जाता था।
इतने संवेदनशील व्यक्ति को जब भाजपा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी, तो उन्होंने यह अनुभव किया कि क्षेत्र में हर समय आम जनता के लिए उपलब्ध नहीं रह पाएंगे। जशपुर से 450 किलोमीटर दूर सड़क मार्ग से रायपुर पहुंचना, सभी के लिए, शायद सम्भव नहीं हो पायेगा। जनता की दुःख तकलीफ दूर करने में अनावश्यक विलम्ब न हो, इसी सेवा-भाव के साथ बगिया में मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय खोला, जो जिले के लगभग बीचों-बीच में है। एक गुमनाम पत्र, जिसमें प्रेषक का नाम-पता कुछ भी नहीं है, उसके आधार पर इस मुख्यमंत्री के कैम्प कार्यालय के सम्बंध में,और माननीय मुख्यमंत्री के परिवार के बारे में सोशल मीडिया में पोस्ट करना, एक सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है।
मुझे इस पूरे घटनाक्रम में किसी बड़े षड्यंत्र की आशंका है, जिसकी मैं घोर निंदा करता हूँ। और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से इस प्रकरण की जांच करवाकर, दोषी पर कठोर कार्यवाही की मांग करता हूँ। ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह के गुमनाम पत्रों की आड़ लेकर, मुख्यमंत्री जी या किसी भी छत्तीसगढ़िया पर अनर्गल आरोप लगाकर, उनकी सार्वजनिक तौर पर छवि खराब करने का दुस्साहस न कर सके।
अंत में श्री राय ने यह भी कहा कि हो सकता है कि श्री बघेल के कार्यकाल के दौरान उनकी सरकार के कृत्यों और भ्रष्टाचार के कई प्रकरणों से पूर्व मुख्यमंत्री घबरा गए हों और इसी घबराहट और हड़बड़ी में श्री बघेल ने एक गुमनाम पत्र की आड़ लेकर, प्रदेश के आदिवासी मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के विरुद्ध इस तरह का सोशल मीडिया में पोस्ट कर दिया हो। श्री बघेल को यह समझना और स्वीकार करना चाहिए कि जनता ने उन्हें नकार दिया है। उनके इस तरह के कृत्यों से, जनता के सामने कॉंग्रेस सरकार के कृत्य और भ्रष्टाचार भुलाये नहीं जा सकते। जनता कॉंग्रेस के दोहरे चरित्र को समझ चुकी है। जनता, भाजपा और भाजपा के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी के साथ है।