पीएम विश्वकर्मा योजना भारत के हजारों वर्ष पुराने कौशल को विकसित भारत के लिए इस्तेमाल करने का एक रोड मैप हैः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
जशपुर/ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वर्धा में आयोजित प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत विडियो क्रांफेसिंग के माध्यम से एक लाख लाभार्थियों को डिजिटल आईडी कार्ड एवं सर्टिफिकेट का वितरण किया। इसके साथ ही उन्होंने एक लाख लाभार्थियों को ई-स्किल प्रमाण पत्र का वितरण और 75 हजार लाभार्थियों को ऋण का भी वितरण किया। जिला परियोजना लाईवलीवुड कॉलेज परिसर जशपुर में आयोजित पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत यहां प्रशिक्षण प्राप्त 400 लाभार्थियों को भी ई-स्किल प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ। आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती शांति भगत ने लाभार्थियों को प्रभाण पत्र का वितरण किया।
इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोंधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम विश्वकर्मा योजना केवल सरकारी प्रोग्राम भर नहीं है। ये योजना भारत के हजारों वर्ष पुराने कौशल को विकसित भारत के लिए इस्तेमाल करने का एक रोड मैप है। इतिहास में भारत की समृद्धि के कितने ही गौरवशाली अध्याय देखने को मिलते हैं। इस समृद्धि का बड़ा आधार हमारा पारंपरिक कौशल, उस समय का हमारा शिल्प, हमारी इंजीनियरिंग, हमारा विज्ञान था। हम दुनिया के सबसे बड़े वस्त्र निर्माता थे। हमारा धातु-विज्ञान, हमारी मेटलर्जी भी विश्व में बेजोड़ थी। उस समय के बने मिट्टी के बर्तनों से लेकर भवनों की डिजाइन का कोई मुकाबला नहीं था। इस ज्ञान-विज्ञान को कौन घर-घर पहुंचाता था? सुतार, लोहार, सोनार, कुम्हार, मूर्तिकार, चर्मकार, बढ़ई-मिस्त्री ऐसे अनेक पेशे, ये भारत की समृद्धि की बुनियाद हुआ करते थे।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि विश्वकर्मा योजना की एक और विशेषता है। जिस स्केल पर, जिस बड़े पैमाने पर इस योजना के लिए अलग-अलग विभाग एकजुट हुए हैं, ये भी अभूतपूर्व है। देश के 700 से ज्यादा जिले, देश की ढाई लाख से ज्यादा ग्राम पंचायतें, देश के 5 हजार शहरी स्थानीय निकाय, ये सब मिलकर इस अभियान को गति दे रहे हैं। इस एक वर्ष में ही 18 अलग-अलग पेशों के 20 लाख से ज्यादा लोगों को इससे जोड़ा गया। सिर्फ साल भर में ही 8 लाख से ज्यादा शिल्पकारों और कारीगरों को स्किल ट्रेनिंग मिल चुकी है। अब तक साढ़े 6 लाख से ज्यादा विश्वकर्मा बंधुओं को आधुनिक उपकरण भी उपलब्ध कराए गए हैं। इससे उनके उत्पादों की क्वालिटी बेहतर हुई है, उनकी उत्पादकता बढ़ी है। इतना ही नहीं, हर लाभार्थी को 15 हजार रुपए का ई-वाउचर दिया जा रहा है। अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए बिना गारंटी के 3 लाख रुपए तक लोन भी मिल रहा है। मुझे खुशी है कि एक साल के भीतर-भीतर विश्वकर्मा भाइयों-बहनों को 1400 करोड़ रुपए का लोन दिया गया है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि विश्वकर्मा समाज, इन पारंपरिक कार्यों में लगे लोग केवल कारीगर बनकर न रह जाएँ! बल्कि मैं चाहता हूं, वे कारीगर से ज्यादा वो उद्यमी बनें, व्यवसायी बनें, इसके लिए हमने विश्वकर्मा भाई-बहनों के काम को एमएसएमई का दर्जा दिया है। वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट और एकता मॉल जैसे प्रयासों के जरिए पारंपरिक उत्पादों की मार्केटिंग की जा रही है। हमारा लक्ष्य है कि ये लोग अपने बिज़नस को आगे बढ़ाएँ! ये लोग बड़ी-बड़ी कंपनियों की सप्लाई चेन का हिस्सा बनें।
उल्लेखनीय है कि पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत जिला में अब तक 22 हज़ार से अधिक लोगों का पंजीकरण किया गया है। जिसमें से 6 हज़ार लोगों की तृतीय स्तर की स्क्रीनिंग की जा चुकी है एवं परियोजना लाइवलीहुड कॉलेज जशपुर के द्वारा 530 शिल्पकारों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। जिला परियोजना लाइवलीहुड कॉलेज जशपुर के द्वारा 5 ट्रेडों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिसमें दर्जी, लोहार, बढ़ई, राजमिस्त्री, टोकरी, चटाई एवं झाड़ू निर्माण का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिसके अंतर्गत 40 घंटे का प्रशिक्षण एवं आधुनिक मशीनों से परिचित कराया जाता है। प्रशिक्षुकों को रहने एवं खाने के भत्ते के रूप में 4 हज़ार रुपयों के साथ 15 हज़ार रुपयों का टूलकीट एवं प्रशिक्षण पूर्ण करने का प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है। इसके अतिरिक्त प्रशिक्षण उपरांत 3 लाख रुपये तक का कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है जिसपर किसी प्रकार की बैंक गारंटी की आवश्यकता नहीं होती है। इस अवसर पर नगरपालिका उपाध्यक्ष श्री राजेश गुप्ता, लाईवलीवुड कॉलेज के प्राचार्य श्री अमरनाथ धमगया, जिला व्यापार एवं उद्योग के महाप्रबंधक श्री एम.एस. पैकरा, पीमएम योजना के लाभार्थी सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं अन्य लोग मौजूद थे।