जशपुर, 27 मई 2025 : संत फ्रांसिस चर्च बासेन में 150 से अधिक बच्चों ने पहली बार पवित्र युखारिस्त संस्कार ग्रहण किया. मिस्सा पूजा के दौरान ये बच्चे रोटी और दाखरस के रूप में प्रभु येसु ख्रीस्त का शरीर और रक्त को पहली बार ग्रहण किया. प्रथम युखारिस्त संस्कार के साथ पल्ली स्तरीय बाबा दिवस भी संयुक्त रूप से मनाया गया. इस अवसर पर बच्चों और सभी पिताओं को बधाई दी गयी.आज के कार्यक्रम में बच्चों के माता पिता सहित हजारों की संख्या में भक्त ज़न सम्मिलित हुए.
मिस्सा के मुख्य अनुष्ठाता केरल-वायनाड से आये भूत-पूर्व प्रोविशयल फ़ादर बाबू जोस ऑर्डर ऑफ फ्रायरस माइनर थे. उनका सहयोग रांची के प्रोफेसर फ़ादर प्रफुल बड़ा, डोमिनकन समाज के फ़ादर निर्मल सहित अतिथि एवं बासेन पल्ली के पुरोहितों ने दिया. फ़ादर प्रफुल बड़ा ने प्रवचन संदेश में कहा पवित्र युखारिस्त येसु का प्रेम और कुर्बानी का संस्कार है. इसमें प्रभु स्वयं बेदी और बलि बनकर अपने आपको अर्पित कर देते हैं. विश्वास भाव से इसे ग्रहण करने से हम ईश्वर में एक हो जाते हैं. य़ह हमारे लिए जीवन दायी आध्यात्मिक आहार बन जाता है. जब-जब हम प्रभु के शरीर और रक्त को ग्रहण करते हैं तो हमारा स्वभाव भी उनके अनुरूप होना चाहिए. अर्थात हमारा जीवन प्रेम से परिपूर्ण हो, त्याग और बलिदान से भरा हो, दूसरों के लिए जीवनदायी एवं प्रेरणा स्रोत बनें.
धार्मिक विधान की शुरुआत शांतिदियुस तिर्की के स्वागत संबोधन एवं अतिथियों का परिचय से हुआ. बाईबल से प्रथम प्रथम पाठ रीना रानी, दूसरा पाठ ऑस्कर तिर्की एवं सुसमाचार पाठ फ़ादर निर्मल द्वारा पढ़ा गया. मिस्सा के दौरान धार्मिक गीतों का गायन पल्ली पुरोहित फादर विजय मिंज की अगुवाई में ढींगुरजोर गायक दल ने किया. मिस्सा के अंत में फ़ादर विलास कुरिया ने आभार प्रकट किया. साँस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति घोघर के युवाओं ने दिया. इस भाग का संचालन पॉल टोप्पो ने किया.
इस समारोह के पुर्व दिवस बच्चों ने पापस्वीकार संस्कार में भाग लिया. इसके द्वारा उन्हें पाप मुक्ति व पवित्रता मिली. इन संस्कारों को ग्रहण करने के पुर्व लंबे समय तक इन बच्चों को धार्मिक प्रशिक्षण दी गयी. प्रशिक्षक के रूप सिस्टर लूसी, सिस्टर नीलू रोस, सिस्टर जुलया ब्रदर अर्पण और ब्रदर विमल एक्का ने सहयोग किया.