कांग्रेस में फेरबदल की बातें हार का ठीकरा फोड़ने के लिए मत्था तलाशे जाने की कवायद भर है – केदारनाथ गुप्ता

कांग्रेस में फेरबदल की बातें हार का ठीकरा फोड़ने के लिए मत्था तलाशे जाने की कवायद भर है – केदारनाथ गुप्ता

जिस कांग्रेस में एक खानदान की चरण-वंदना ही कुलजमा राजनीतिक पूंजी मानी जाती रही है, वहाँ ‘संगठन’ की बातें बेमानी लगती हैं – केदारनाथ गुप्ता

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता केदारनाथ गुप्ता ने कहा है कि विधानसभा, लोकसभा और अब रायपुर दक्षिण के उपचुनाव में अपनी राजनीतिक हैसियत की दुर्गति करा चुकी कांग्रेस के नेता अब भी आत्मचिंतन करने के बजाय एक तरफ भाजपा और प्रदेश सरकार को लेकर ऊलजलूल बयानबाजी करके ‘खाली समय में’ कांग्रेसी नित-नई जुमलेबाजी करके हास्यास्पद प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हार की जिम्मेदारी लेने या जिम्मेदारी तय करने का साहस दिखाने के बजाय के बजाय अब भी नित-नए शिगूफे छोड़ने में लगी है। श्री गुप्ता ने कांग्रेस में संगठन को मजबूत करने और निष्क्रिय पदाधिकारियों को हटाने की चल रही कवायद पर तंज कसते हुए कहा कि विधानसभा और लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद भी कांग्रेस के नेता इसी तरह गाल बजाते रहे हैं।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री गुप्ता ने कहा कि जिस कांग्रेस में एक खानदान की चरण-वंदना ही कुलजमा राजनीतिक पूंजी मानी जाती रही है, वहाँ ‘संगठन’ की बातें बेमानी लगती हैं। छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार, षड्यंत्र और आपराधिक ट्रैक रिकॉर्ड ही संगठन में सक्रियता और पदाधिकारी बनने का मापदंड बन गया हो, तो फिर कांग्रेस में निष्क्रियता का कौन-सा मापदंड तय किया जाएगा? क्या सक्रियता और निष्क्रियता का मापदंड सिर्फ कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों के लिए ही होगा? उन राज्यसभा सांसदों की जवाबदेही कौन तय करेगा, जिनको अन्य प्रदेशों का होने के बावजूद छत्तीसगढ़ के कांग्रेस कार्यकर्ताओं का हक मारकर ‘खानदान की चाटुकारिता’ के मापदंड पर छत्तीसगढ़ से चुनकर भेजा गया और सांसद बनने के बाद उनमें से किसी ने छत्तीसगढ़ की सुध लेना तक जरूरी नहीं समझा! इससे अधिक शर्मनाक कांग्रेस के लिए और क्या हो सकता था कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज की कथित न्याय पदयात्रा में कांग्रेस के इनमें से किसी भी सांसद ने चेहरा तक दिखाने की जरूरत नहीं समझी।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री गुप्ता ने कहा कि प्रदेश के ऐतिहासिक जनादेश से सत्ता से बेदखल हो चुकी कांग्रेस के लोग अपनी पार्टी के घमासान को तो आज तक थाम नहीं पा रहे हैं। अभी हाल ही बिलासपुर में प्रदेश अध्यक्ष के सामने ही कांग्रेस के लोग जिस तरह आपस में गुत्थम-गुत्था हुए, वह कांग्रेस की संगठनात्मक सच्चाई का प्रमाण पत्र है और ऐसे कई प्रमाण पत्र विधानसभा व लोकसभा चुनावों के बाद भी कांग्रेस के लोगों ने कांग्रेस के नेताओं को भेंट किए हैं। श्री गुप्ता ने कहा कि शर्मनाक हार की समीक्षा करने और उसके सबक पढ़ने के बजाय अभी भी कांग्रेसी दूर की कौड़ियाँ उछालने में मशगूल हैं, निठल्ले राजनीतिक चिंतन में व्यस्त हैं! आत्म-चिंतन के नाम पर कांग्रेस के लोग अब एक-दूसरे पर आरोप लगाने का ही काम कर रहे हैं। कांग्रेस में जो सत्ता से लेकर संगठन तक भ्रष्टाचार व्याप्त है, वही कांग्रेस की अंतर्कलह का बड़ा कारण है। दरअसल कांग्रेस में फेरबदल की बातें हार का ठीकरा फोड़ने के लिए मत्था तलाशे जाने की कवायद भर है।

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