मुख्यमंत्री साय की पहल का क्या असर हुआ?  कैसे एक जशपुर की ग्रामीण महिला बनीं सफल उद्यमी? जानिए सबिता दीदी की कहानी…

मुख्यमंत्री साय की पहल का क्या असर हुआ?  कैसे एक जशपुर की ग्रामीण महिला बनीं सफल उद्यमी? जानिए सबिता दीदी की कहानी…

सबिता दीदी ग्रामीण उद्यमिता की बनी मिसाल, बकरी पालन से खड़ा किया व्यवसाय

जशपुर 02 दिसंबर 2024/ मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सुशासन महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर  खूबसूरत गांव खुंटीटोली में एक अद्भुत बदलाव की कहानी उभरकर आई है। चंचल स्व सहायता समूह की सदस्य सबिता दीदी ने अपनी मेहनत, दृष्टिकोण और सामुदायिक समर्थन से अपनी साधारण शुरुआत को एक सफल बकरी पालन व्यवसाय में बदल दिया। वह ग्रामीण उद्यमिता की एक मिसाल बन गई हैं और उनकी कहानी आज कई महिलाओं के लिए प्रेरणा है।

चुनौतियों से अवसरों तक का सफर

सबिता की यात्रा उन समस्याओं से शुरू हुई जो ग्रामीण महिलाओं के लिए आम हैं। उनका परिवार मौसमी मजदूरी पर निर्भर था, जो न तो दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त थी और न ही उनके बच्चों के भविष्य में निवेश करने के लिए। यह वित्तीय अस्थिरता उन्हें गरीबी के चक्र में फंसा हुआ महसूस कराती थी। 2020 में सबिता ने चंचल समूह से जुड़कर अपनी आजीविका सुधारने का एक रास्ता तलाशा। समूह ने उन्हें वित्तीय संसाधन, कौशल प्रशिक्षण और साथियों का सहयोग प्रदान किया। पशुधन पालन पर प्रशिक्षण स्रोत से प्रेरित होकर, सबिता ने बकरी पालन को आय सृजन लिए एक संभावित अवसर के रूप में चुना।

30-यूनिट का बकरी पालन खड़ा किया व्यवसाय

स्व सहायत समूह की सामूहिक बचत से रू. 40,000 के प्रारंभिक ऋण के साथ, सबिता ने 10 उच्च-गुणवत्ता वाली बकरी प्रजातियां खरीदीं और उनके लिए एक साधारण आश्रय बनाया। स्व सहायत समूह द्वारा आयोजित कार्यशालाओं और स्थानीय पशु चिकित्सा विभाग के सहयोग से उन्होंने स्थानीय रूप से उपलब्ध चारे का उपयोग करके उचित भोजन की तकनीक, टीकाकरण और नियमित जांच के माध्यम से बीमारियों की रोकथाम, झुंड के आकार और गुणवत्ता में सुधार के लिए कुल प्रजनन तकनीक के बारे में सीखाया। समय के साथ सबिता की मेहनत और देखभाल ने उनके झुंड को 30 बकरियों तक बढ़ा दिया। उन्होंने बकरी को और दूध बेचकर अपनी आय के स्रोतों में विविधता लाई, जिससे आसपास के बाजारों में बढ़ती मांग को पूरा किया।

सफलता का व्यापक प्रभाव

सबिता के बकरी पालन व्यवसाय ने उनकी जिंदगी और उनके समुदाय पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। सबिता के आर्थिक स्थिति में सुधार हुई उनकी मासिक आय रू 10,000 से 45,000 तक बढ़ गई, जिससे उन्होंने अपने घर का नवीनीकरण किया और अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाई। सबिता स्व सहायत समूह में एक मार्गदर्शक बन गईं, उन महिलाओं का मार्गदर्शन किया जो बकरी पालन में रुचि रखती थीं। उनकी मदद से तीन और महिलाओं ने ऐसे ही व्यवसाय शुरू किए और रोजगार का सृजन किया गया उनके फार्म ने स्थानीय युवाओं को, विशेष रूप से व्यस्त मौसम के दौरान, अंशकालिक रोजगार प्रदान किया। ज्ञान साझा करके सशक्तिकरण भी किया जिला-स्तरीय पशुधन प्रदर्शनियों में सक्रिय रूप से भाग लेती हैं, जहां वे अपनी विशेषज्ञता साझा करती हैं और नई तकनीकें सीखती हैं।

प्रशंसा और भविष्य के लक्ष्य

सविता की उपलब्धियों को सराहा गया है। उन्हें स्थानीय पंचायत द्वारा एक आदर्श उद्यमी के रूप में सम्मानित किया गया और उनकी कहानी जिला स्तरीय स्व सहायत समूह मंचों पर भी साझा की गई।

आगे बढ़ते हुए सबिता के लक्ष्य

सबिता ने अपने जीवन में लक्ष्य तय कर यह सुनिश्चित किया कि अपने झुंड को 50 बकरियों तक बढ़ाना और उन्नत प्रजातियों को शामिल करें ताकि अन्य महिला किसानों के साथ एक सहकारी संस्था स्थापित करना ताकि विपणन को सुगम बनाया जा सके और मुनाफा बढ़ाया जा सके।

परिवर्तन के लिए एक आदर्श

सबिता दीदी की सफलता की कहानी यह साबित करती है कि आत्मनिर्भरता, समूह की प्रभावशीलता और ग्रामीण महिलाओं की क्षमता किस तरह से सार्थक बदलाव ला सकती है। बकरी पालन के माध्यम से उन्होंने न केवल अपने परिवार के भविष्य को बदल दिया, बल्कि अपने गांव के लिए एक उम्मीद की किरण बन गई। यह दिखाता है कि सही समर्थन और दृढ़ संकल्प से सपने सच किए जा सकते हैं।

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