चेतना विकास मूल्य शिक्षा से समाज में ला सकते हैं बड़ा बदलाव – बृजमोहन अग्रवाल
शोध केंद्र के डॉ. संकेत ठाकुर, महावीर अग्रवाल, सचिन, स्वाति परमार ने मूल्य शिक्षा में शोध कार्य की प्रस्तुति दी।
अछोटी (दुर्ग) : अभ्युदय संस्थान अछोटी, जिला दुर्ग में मध्यस्थ दर्शन के प्रणेता ए. नागराज द्वारा प्रवर्तित चेतना विकास मूल्य शिक्षा पर आधारित दो दिवसीय शोध कार्यशाला का रविवार को सफलतापूर्वक समापन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रायपुर के सांसद श्री बृजमोहन अग्रवाल थे।
इस कार्यशाला में शिक्षकों को मूल्य शिक्षा के क्षेत्र में उपयोगी टीचिंग लर्निंग मैटेरियल (TLM) पर केंद्रित विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया गया। जीवन विद्या का अध्ययन कर चुके शिक्षकों को मूल्य आधारित शिक्षा के लिए विभिन्न तकनीकों और प्रयोग विधियों की जानकारी दी गई।
मुख्य अतिथि के रूप में श्री बृजमोहन अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में कहा –
चेतना विकास मूल्य शिक्षा, मानवीय शिक्षा का एक तरीका है. इस शिक्षा में मानव चेतना, देव चेतना, और दिव्य चेतना का अध्ययन कराया जाता है. इस शिक्षा के ज़रिए, सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों को सिखाया जाता है. इसके ज़रिए, बच्चों में शैक्षणिक क्षमता का विकास, भावनात्मक सुदृढ़ता, और सोच-समझकर निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है। उन्होंने यह भी कहा कि सनातन धर्म पुरातन काल से इसका पालन कर रहा है गुरुकुलों और आश्रमों के माध्यम से बच्चों में शुरू से ही चेतना विकसित करने पर जोर दिया जाता था और उनका सम्पूर्ण विकास किया जाता था।
“मूल्य आधारित शिक्षा आज की शिक्षा प्रणाली का अनिवार्य हिस्सा बननी चाहिए। जीवन विद्या के माध्यम से हम बच्चों में नैतिकता, मानवता और सामाजिक जिम्मेदारी का भाव जागृत कर सकते हैं। शिक्षकों की भूमिका इस दिशा में बेहद महत्वपूर्ण है।”
उन्होंने शिक्षकों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएं शिक्षण में नवाचार और प्रभावी परिणाम लाने का माध्यम बनेंगी। साथ ही उन्होंने अभ्युदय संस्थान के प्रयासों की सराहना की।
कार्यशाला में विभिन्न शिक्षण तकनीकों पर व्याख्यान, अनुभव-साझा सत्र, और समूह गतिविधियों के माध्यम से शिक्षकों को व्यावहारिक ज्ञान दिया गया। कार्यक्रम में क्षेत्र के कई शिक्षाविद्, विद्वान, और प्रशिक्षक सम्मिलित हुए। शोध केंद्र के डॉ. संकेत ठाकुर, महावीर अग्रवाल, सचिन, स्वाति परमार ने मूल्य शिक्षा में शोध कार्य की प्रस्तुति दी।