मामूली विवाद बना खूनी वारदात, कुनकुरी कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला : हत्या पर उम्रकैद

मामूली विवाद बना खूनी वारदात, कुनकुरी कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला : हत्या पर उम्रकैद

मृतका के परिजनों को मिलेगा प्रतिकर

कुनकुरी, जिला जशपुर (छत्तीसगढ़) : जशपुर जिले के द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश, कुनकुरी बलराम कुमार देवांगन की अदालत ने एक अत्यंत जघन्य हत्या के मामले में कठोर फैसला सुनाते हुए आरोपी जयलाल एका को आजन्म कारावास की सजा सुनाई है। यह मामला एक 85 वर्षीय वृद्धा गांदो बाई की हत्या से संबंधित है, जो कि फरवरी 2023 में मामूली विवाद के चलते क्रूरता से मारी गई थीं।

मवेशी के विवाद से उपजी रंजिश ने ले ली जान

यह दर्दनाक घटना दिनांक 27 फरवरी 2023 को घटित हुई जब ग्राम डोंगादरहा पारा (बरटोली), थाना तुमला, जिला जशपुर की निवासी वृद्धा गांदो बाई अपने खेत में कार्यरत थीं। खेत में मवेशी घुसने और प्याज की फसल को नुकसान पहुंचाने को लेकर जयलाल एका से विवाद हुआ। गुस्से में आकर आरोपी ने लाठी से वृद्धा को पीटा और पत्थर से सिर कुचलकर उसकी निर्मम हत्या कर दी।

वृद्धा के पुत्र रायमन एक्का ने तत्काल थाना तुमला पहुंचकर घटना की जानकारी दी। पुलिस ने धारा 302 भारतीय दण्ड संहिता के तहत मामला पंजीबद्ध किया और आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

जांच प्रक्रिया: साक्ष्यों से पुख्ता हुआ आरोप

थाना तुमला के सहायक उपनिरीक्षक विरद साय पैंकरा द्वारा विवेचना की गई। घटनास्थल का नक्शा तैयार किया गया, प्रत्यक्षदर्शियों के बयान लिए गए और आरोपी के खिलाफ परिस्थितिजन्य साक्ष्य जुटाए गए। आरोपी की गिरफ्तारी 28 फरवरी 2023 को हुई, और तभी से वह न्यायिक हिरासत में था।

अभियोजन की ओर से मजबूत पैरवी

सरकार की ओर से श्रीमती पुष्पा सिंह, अपर लोक अभियोजक ने सशक्त तर्कों के साथ अदालत के समक्ष पूरा घटनाक्रम रखा। उन्होंने बताया कि वृद्धा एक असहाय महिला थीं और हत्या पूरी तरह पूर्वनियोजित क्रूरता का परिचायक थी। वहीं, बचाव पक्ष की ओर से बी. मिश्रा अधिवक्ता ने आरोपी के पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड के अभाव का हवाला देते हुए दया की अपील की।

अदालत की स्पष्ट टिप्पणी: समाज के लिए खतरा, क्षमा योग्य नहीं

द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश बलराम कुमार देवांगन ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा कि – “यह कृत्य समाज की मानवीय मर्यादाओं के विरुद्ध है। एक असहाय वृद्धा पर डंडे और पत्थर से जानलेवा हमला समाज के लिए एक गंभीर खतरा है। ऐसे अपराध क्षमा योग्य नहीं होते।”

न्यायालय ने यह भी जोड़ा कि आरोपी की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है और न ही वह समाज के लिए दीर्घकालिक खतरा प्रतीत होता है, परंतु अपराध की गंभीरता को देखते हुए आजीवन कारावास से कम दंड देना न्याय के अनुरूप नहीं होगा।

सजा का विवरण

अदालत ने आरोपी को धारा 302 भारतीय दण्ड संहिता के तहत आजीवन सश्रम कारावास और ₹1,000 का अर्थदंड सुनाया है। अर्थदंड न भरने की स्थिति में आरोपी को छह माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतना होगा।

साथ ही आरोपी द्वारा 02 वर्ष 02 माह 14 दिन की न्यायिक हिरासत को सजा की अवधि में समायोजित करने के निर्देश दिए गए हैं।

पीड़ित परिवार को मिलेगा मुआवजा

अदालत ने मृतका के पुत्र व परिवारजनों को हुए मानसिक आघात को देखते हुए, धारा 357A दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत मुआवजा दिलाने हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जशपुर को निर्देशित किया है।

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