मायूर्चुंदी की पीड़ा: राशन वितरण में धांधली, डीलर-सरपंच पर लगे गंभीर आरोप, राशन के लिए तड़प रहे हैं ग्रामीण

मायूर्चुंदी की पीड़ा: राशन वितरण में धांधली, डीलर-सरपंच पर लगे गंभीर आरोप, राशन के लिए तड़प रहे हैं ग्रामीण


कुनकुरी, 4 मई 2025 | विशेष रिपोर्ट (सागर जोशी – संपादक)

जशपुर जिले के कुनकुरी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत दुलदुला विकासखंड के सुदूरवर्ती ग्राम पंचायत मयूरचूंदी में गरीबों के लिए निर्धारित राशन के वितरण में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। शासकीय उचित मूल्य की दुकान में संचालक द्वारा सरकारी चावल, चीनी, नमक और चना के वितरण में भारी गड़बड़ी की शिकायतें सामने आने के बाद ग्रामीणों में आक्रोश है।

गांव की वार्ड क्रमांक 2 और सुकबासुबस्ती के कई हितग्राहियों ने आरोप लगाया है कि डीलर फ्लोरा केरकेट्टा, जो वर्तमान में सरपंच भी हैं, ने अप्रैल 2025 का चावल अभी तक वितरित नहीं किया है। ग्रामीणों का कहना है कि गोदाम पूरी तरह से खाली पड़ा है और उन्हें भूखे रहने की नौबत आ गई है

रजिस्टर में नाम है, पेट में अन्न नहीं

हितग्राहियों का कहना है कि पूर्व में बायोमेट्रिक मशीन से अंगूठा लगाकर राशन वितरण होता था, लेकिन पिछले एक साल से इंटरनेट कनेक्टिविटी का हवाला देकर मैनुअल रजिस्टर में ही एंट्री की जा रही है। इस प्रक्रिया में भारी अनियमितता देखी गई है — किसी को केवल चावल, तो किसी को नमक या चीनी ही नहीं मिला

ग्रामीण महिलाओं की आंखों में आंसू थे जब उन्होंने बताया कि – “हम गरीब हैं, मेहनत-मजदूरी करके पेट पालते हैं, लेकिन अब वो भी नहीं हो पा रहा। सरकार की योजना है कि कोई भूखा न रहे, पर मयूरचूंदी में हम भूखे सो रहे हैं।

शिकायत पर हरकत में प्रशासन?

जब इस संबंध में फूड इंस्पेक्टर संदीप गुप्ता से संपर्क किया गया, तो उन्होंने स्वीकारा कि – “मामले की शिकायत प्राप्त हुई है। जल्द ही पीडीएस गोदाम की जांच की जाएगी और दोषियों पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।”

सवालों के घेरे में सरपंच-सह-डीलर

सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि डीलर खुद ग्राम पंचायत की निर्वाचित सरपंच हैं। ऐसे में जवाबदेही और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

ग्रामीणों की मांग है कि –

  • तत्काल राशन वितरण की जांच हो।
  • बकाया चावल व अन्य खाद्य सामग्री वितरित की जाए।
  • दोषी डीलर-सरपंच के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो।
  • मयूरचूंदी जैसे दुर्गम क्षेत्रों में सतत निगरानी व्यवस्था स्थापित की जाए।

एक सरकार की योजना, भूख से लड़ते लोग

सरकार की महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (NFSA) और पीडीएस प्रणाली का मकसद देश के अंतिम व्यक्ति तक अन्न पहुंचाना है। पर मयूरचूंदी की हकीकत बता रही है कि प्रणालियों में यदि ईमानदारी न हो, तो योजनाएं सिर्फ कागजों में सिमट जाती हैं।

आज जब पूरा देश डिजिटल और पारदर्शी वितरण व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, तब मयूरचूंदी में गरीब आदिवासी परिवारों का राशन लूटने जैसा मामला, एक मानवीय त्रासदी बन चुका है।

Jashpur